Success Story 2025: चंबल के कुख्यात डकैत के पोते ने UPSC में सफलता की नई मिसाल पेश की

हर साल UPSC परीक्षा में हजारों युवा अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जिनकी कहानी पूरे देश को प्रेरित कर जाती है। ऐसी ही एक कहानी है ग्वालियर, मध्य प्रदेश के रहने वाले देव प्रभाकर तोमर की, जिन्होंने अपने परिवार की पुरानी छवि को पीछे छोड़कर सफलता की नई इबारत लिखी।

देव प्रभाकर तोमर का सफर सिर्फ एक विद्यार्थी की मेहनत की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सोच को भी चुनौती देता है कि पिछला इतिहास किसी के भविष्य को तय कर सकता है। उनके दादा रामगोविंद सिंह तोमर कभी चंबल के कुख्यात डकैत थे, जिनका नाम सुनकर पूरा इलाका कांप उठता था। लेकिन आज उसी परिवार से एक युवा ने UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास कर समाज में नई मिसाल कायम की है।

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यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस समाज की भी है जो अक्सर किसी के अतीत के आधार पर उसके भविष्य का आकलन कर लेता है। देव ने अपने संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर यह साबित कर दिया कि इंसान अपनी मेहनत से किस्मत बदल सकता है।

चंबल के डकैत के पोते की UPSC सफलता: मुख्य विवरण

नीचे दी गई तालिका में इस प्रेरणादायक कहानी का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

बिंदुविवरण
नामदेव प्रभाकर तोमर
स्थानग्वालियर, मध्य प्रदेश (मूल निवासी: मुरैना)
दादारामगोविंद सिंह तोमर (चंबल के कुख्यात डकैत)
पिताबलवीर सिंह तोमर (संस्कृत में पीएचडी, शिक्षक)
UPSC रैंक629 (सिविल सेवा परीक्षा 2024)
प्रयासों की संख्या6 (अंतिम प्रयास में सफलता)
पिछली नौकरीफिलिप्स, नीदरलैंड (साइंटिस्ट, 88 लाख वार्षिक पैकेज)
शैक्षणिक योग्यताIIT से इंजीनियरिंग
परिवारविवाहित, एक बच्चा
तैयारी का तरीकासेल्फ स्टडी, कुछ ऑनलाइन पढ़ाई
प्रेरणामाता-पिता, पत्नी का सहयोग
चुनौतियाँसामाजिक ताने, आर्थिक दबाव, बार-बार असफलता

चंबल के कुख्यात डकैत का पोता: UPSC में नई मिसाल

परिवार का इतिहास और सामाजिक चुनौतियाँ

देव प्रभाकर तोमर का पारिवारिक इतिहास बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण रहा है। उनके दादा रामगोविंद सिंह तोमर कभी चंबल के बागी डकैत थे। उनके नाम से पूरा इलाका डरता था और परिवार को अक्सर समाज में ताने सुनने पड़ते थे-“तेरे दादा डकैत थे, तुम कुछ नहीं कर पाओगे।”

लेकिन देव के पिता बलवीर सिंह तोमर ने इस विरासत से अलग राह चुनी। उन्होंने पढ़ाई को अपना हथियार बनाया, संस्कृत में पीएचडी की और शिक्षक के रूप में समाज को दिशा दी। यही संस्कार उन्होंने अपने बेटे देव को भी दिए।

शिक्षा और करियर की शुरुआत

देव प्रभाकर ने IIT से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्हें नीदरलैंड की फिलिप्स कंपनी में साइंटिस्ट की नौकरी मिली, जहां उनका सालाना पैकेज 88 लाख रुपये था। यह किसी भी युवा के लिए सपनों की नौकरी मानी जाती है।

बड़ी नौकरी छोड़ UPSC की तैयारी

देव ने अपने परिवार और समाज के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखा। उन्होंने लाखों की नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में जुट गए। यह फैसला आसान नहीं था-परिवार में आर्थिक दबाव था, समाज में ताने मिलते थे, और खुद की भी जिम्मेदारियाँ थीं। लेकिन देव ने हार नहीं मानी।

संघर्ष, असफलताएँ और आखिरी प्रयास

UPSC की तैयारी के दौरान देव को कई बार असफलता का सामना करना पड़ा। तीन बार मेंस क्लियर किया, लेकिन इंटरव्यू में चयन नहीं हो पाया। हर बार आखिरी चरण में रुक जाना किसी के भी आत्मविश्वास को तोड़ सकता है, लेकिन देव ने खुद को संभाला और लगातार मेहनत जारी रखी।

यह उनका छठा और अंतिम प्रयास था। परिवार के लोग पूछते थे-अगर यह बार भी नहीं हुआ तो क्या करोगे? लेकिन देव के पास कोई Plan B नहीं था-बस एक ही सपना था, UPSC क्लियर करना।

परिवार का सहयोग और प्रेरणा

देव की सफलता में उनके परिवार का बड़ा योगदान रहा। उनकी पत्नी ने दो साल तक नौकरी कर आर्थिक मदद की, ताकि देव बिना चिंता के पढ़ाई कर सकें। मां हमेशा कहती थीं-“मेरा बेटा कलेक्टर बनेगा।” पिता ने हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। देव ने खुद कहा-“मेरी सफलता में मेरे माता-पिता और पत्नी का सबसे बड़ा योगदान है।”

UPSC Success Story 2025: संघर्ष से सफलता तक

मुख्य चुनौतियाँ

  • सामाजिक ताने: “डकैत के पोते हो, कुछ नहीं कर पाओगे।”
  • आर्थिक दबाव: अच्छी नौकरी छोड़ने के बाद परिवार की जिम्मेदारी।
  • बार-बार असफलता: तीन बार इंटरव्यू तक पहुंचना, लेकिन चयन न होना।
  • आत्मविश्वास बनाए रखना: आखिरी प्रयास में भी उम्मीद न छोड़ना।

सफलता के सूत्र

  • स्पष्ट लक्ष्य: शुरुआत से ही IAS बनने का सपना।
  • कड़ी मेहनत: सेल्फ स्टडी, सिलेबस के अनुसार तैयारी।
  • समय प्रबंधन: परिवार और पढ़ाई दोनों को संतुलित करना।
  • परिवार का समर्थन: पत्नी, माता-पिता का भावनात्मक और आर्थिक सहयोग।
  • आत्मविश्वास: हर असफलता के बाद खुद को मोटिवेट करना।

देव प्रभाकर तोमर की प्रेरक बातें

  • “मैंने कभी Plan B नहीं बनाया, क्योंकि मेरा सपना ही Plan A था।”
  • “लोग ताने मारते थे, लेकिन मैंने उन्हें अपनी ताकत बना लिया।”
  • “मेरी सफलता में मेरे परिवार का सबसे बड़ा हाथ है।”
  • “कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है।”

UPSC की तैयारी: देव प्रभाकर तोमर के टिप्स

  • सिलेबस को अच्छे से समझें और उसी के अनुसार तैयारी करें।
  • नोट्स खुद बनाएं और बार-बार रिवीजन करें।
  • मॉक टेस्ट और पिछले साल के पेपर जरूर हल करें।
  • समय का सही प्रबंधन करें-परिवार, पढ़ाई और खुद के लिए समय निकालें।
  • निराशा से बचें और सकारात्मक सोच बनाए रखें।
  • परिवार और दोस्तों से मोटिवेशन लेते रहें।

UPSC Success Story 2025: समाज को दिया नया संदेश

देव प्रभाकर तोमर की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए संदेश है कि-

  • अतीत चाहे जैसा भी हो, भविष्य मेहनत से बदला जा सकता है।
  • किसी के पूर्वजों के कर्मों से किसी की पहचान तय नहीं होती।
  • शिक्षा और मेहनत सबसे बड़ा हथियार है।
  • समाज में बदलाव लाने के लिए खुद को बदलना जरूरी है।
  • हर असफलता के बाद सफलता की संभावना और बढ़ जाती है।

देव प्रभाकर तोमर की सफलता का समाज पर प्रभाव

  • युवाओं के लिए प्रेरणा: देव की कहानी उन युवाओं के लिए मिसाल है जो सामाजिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण खुद को कमजोर समझते हैं।
  • परिवारों के लिए सीख: माता-पिता के संस्कार और सहयोग से कोई भी बच्चा ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।
  • समाज में बदलाव: यह कहानी समाज को सिखाती है कि किसी के अतीत के आधार पर उसे जज न करें।
  • शिक्षा का महत्व: शिक्षा ही वह शक्ति है जो किसी भी परिस्थिति को बदल सकती है।

UPSC Success Story: देव प्रभाकर तोमर का जीवन सफर

चरणविवरण
बचपनचंबल के मुरैना जिले के गाँव में जन्म, डकैत परिवार
शिक्षाIIT से इंजीनियरिंग
करियर की शुरुआतफिलिप्स, नीदरलैंड में साइंटिस्ट (88 लाख पैकेज)
UPSC की तैयारीनौकरी छोड़कर, सेल्फ स्टडी, 6 प्रयास
चुनौतियाँसामाजिक ताने, आर्थिक दबाव, बार-बार असफलता
परिवार का सहयोगमाता-पिता, पत्नी ने आर्थिक व भावनात्मक मदद की
सफलताUPSC 2024 में 629वीं रैंक, समाज में नई मिसाल

UPSC Success Story 2025: मुख्य बिंदु (Bullet Points)

  • देव प्रभाकर तोमर के दादा चंबल के कुख्यात डकैत थे।
  • पिता ने शिक्षा को अपनाया और संस्कृत में पीएचडी की।
  • देव ने IIT से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
  • फिलिप्स में साइंटिस्ट की नौकरी (88 लाख पैकेज) छोड़ी।
  • UPSC में 6 प्रयास किए, आखिरी में 629वीं रैंक हासिल की।
  • तीन बार इंटरव्यू तक पहुँचे, लेकिन चयन नहीं हुआ-फिर भी हार नहीं मानी।
  • परिवार और पत्नी का पूरा सहयोग मिला।
  • समाज के तानों को अपनी ताकत बनाया।
  • सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पढ़ाई से तैयारी की।
  • उनकी सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा है।

निष्कर्ष

देव प्रभाकर तोमर की कहानी बताती है कि संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। उनका सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने अतीत या पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण खुद को कमजोर समझते हैं। देव ने साबित कर दिया कि शिक्षा, सकारात्मक सोच और परिवार के सहयोग से कोई भी मुश्किल राह आसान हो सकती है।

आज देव प्रभाकर तोमर सिर्फ अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन गए हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि अतीत चाहे जैसा भी हो, भविष्य मेहनत से बदला जा सकता है। हर युवा को चाहिए कि वह अपने सपनों के लिए मेहनत करे, कभी हार न माने और हमेशा खुद पर विश्वास रखे।

Disclaimer (डिस्क्लेमर)

यह कहानी पूरी तरह सत्य है और 2024 की UPSC परीक्षा में ग्वालियर, मध्य प्रदेश के देव प्रभाकर तोमर ने 629वीं रैंक हासिल की है। उनके दादा रामगोविंद सिंह तोमर चंबल के कुख्यात डकैत रहे हैं, लेकिन देव ने अपने परिवार की छवि बदलकर समाज में नई मिसाल पेश की है। इस कहानी का उद्देश्य केवल प्रेरणा देना है-किसी भी व्यक्ति का अतीत उसके भविष्य को तय नहीं करता, मेहनत और लगन से सब कुछ संभव है।

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